Thursday, April 29, 2010

ट्रिक

जब समंदर को
देखा भी नहीं था
तब अमर चित्र कथा में
सिंदबाद जहाजी की यात्राएं पढ़कर
मोहल्ले के खेल जीत लिया करते थे
भले ही ये यकीन अदेखे और
अविश्वसनीय भूगोलों से आता था
पर शायद जिंदा इंसान का हौसला ही
इसे सच की तरह प्रस्तुत करता था

बड़ी ही तरतीब और करीने से
असंभव हौसला गढ़ा जा सकता है
सभी ज्ञात स्थापनाओं के बिलकुल समानांतर
और विपरीत
कुछ कुछ असंभव प्रेम की तरह
जिसकी शुरुआत होते ही
शुरू हो जाता है इसे
सरल किये जाने विश्वास

खेल में ही छला जाता है असंभव का व्यूह
हुडिनी दिखाता है
कि कई फीट पानी के नीचे भी
ताला लगे बक्से के बाहर
आया जा सकता है
बाद में जिसे हम एक ट्रिक के रूप में
व्याख्यायित करते हैं
शो के ठीक एक सेकण्ड बाद
हैरतंगेज़ रूप से आसान दिखते ही
तालियाँ बजाते हैं


एक ट्रिक
बहुत छोटी और बेहद सादी होकर भी
असंभव की धज्जियां उड़ा देती है
जादूगर के हैट से निकलते ही
यही असंभव कोने में पड़े
कबूतर से ज्यादा नहीं मालूम होता
असंभव हमेशा किसी ट्रिक से
या खेल से हार जाता है
एक खूबसूरत धोखा भी जिसे कह सकते हैं।