tag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post8701292531344572286..comments2024-01-03T11:43:51.116+05:30Comments on संजय व्यास: प्रेमी वैम्पायर के बहाने प्रेम पर कुछ बिखरा साsanjay vyashttp://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-40796667509248103002011-09-09T16:16:21.883+05:302011-09-09T16:16:21.883+05:30अपने 10 th के स्टुडेंट्स को मैंने Twilight पढ़ने...अपने 10 th के स्टुडेंट्स को मैंने Twilight पढ़ने दी थी summer vacation में.. और देने के पहले लगभग यही बात कही थी दूसरे शब्दों में ( अंग्रेजी में ) कि यहाँ सवाल एक भूत कथा का नहीं है.. ये प्रेम का मामला है ..तुम्हें गहरे जाना होगा ..<br />इसे पढ़वाने के लिए आभार संजयजीबाबुषाhttps://www.blogger.com/profile/05226082344574670411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-9988713338790933542011-09-09T16:00:54.276+05:302011-09-09T16:00:54.276+05:30अपने 10 th के स्टुडेंट्स को मैंने Twilight पढ़ने...अपने 10 th के स्टुडेंट्स को मैंने Twilight पढ़ने दी थी summer vacation में.. और देने के पहले लगभग यही बात कही थी दूसरे शब्दों में ( अंग्रेजी में ) कि यहाँ सवाल एक भूत कथा का नहीं है.. ये प्रेम का मामला है ..तुम्हें गहरे जाना होगा ..<br />इसे पढ़वाने के लिए आभार संजयजीबाबुषाhttps://www.blogger.com/profile/05226082344574670411noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-73892941430014508732010-07-08T21:21:58.691+05:302010-07-08T21:21:58.691+05:30फिर से एक बार पढने आया हूँ . बहुत आभार .
रिग...फिर से एक बार पढने आया हूँ . बहुत आभार .<br /><br />रिगार्ड्स<br />मनोज खत्रीManoj Khttps://www.blogger.com/profile/06707542140412834778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-77745150292657662012010-01-02T08:51:11.885+05:302010-01-02T08:51:11.885+05:30नववर्ष की मंगलमय कामनाये !नववर्ष की मंगलमय कामनाये !Meenu Kharehttps://www.blogger.com/profile/12551759946025269086noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-89683537082494857232010-01-01T14:29:11.559+05:302010-01-01T14:29:11.559+05:30नव वर्ष की अशेष कामनाएँ।
आपके सभी बिगड़े काम बन जा...नव वर्ष की अशेष कामनाएँ।<br />आपके सभी बिगड़े काम बन जाएँ।<br />आपके घर में हो इतना रूपया-पैसा,<br />रखने की जगह कम पड़े और हमारे घर आएँ।<br />--------<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन</a><br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-50613407909241255962009-12-30T22:11:24.595+05:302009-12-30T22:11:24.595+05:30अच्छा विश्लेषण है. मनुष्यों का "मृत्योर्मामृत...अच्छा विश्लेषण है. मनुष्यों का "मृत्योर्मामृतं गमय" का लोभ तो कभी छूटने वाला नहीं. जैसा इ-स्वामी ने कहा, इस श्रंखला की किताबें और फ़िल्में किशोरवय के दर्शकों में धूम मचा चुकी हैं. यहाँ के किशोरों को परोसी जा रही फिल्मों में वास्तविकता कम, जादू, मृत्योपरांत जीवन, परीकथाएँ आदि का मसाला कुछ ज़्यादा ही है.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-44638955387136831442009-12-29T10:34:58.185+05:302009-12-29T10:34:58.185+05:30इससे ही मिलती जुलती एक मूवी देख चुकी हु "अंडर...इससे ही मिलती जुलती एक मूवी देख चुकी हु "अंडर वर्ल्ड" जिसमे पिसाच और भेडिये की जंग की कहानी है और साथ ही साथ एक लव स्टोरी भी चलती है जो गले से उतरी तो ये movies देखने की हिम्मत जुटा नहीं पाई <br />बहुत ही सटीक और अच्छी समीक्षा आप को तो सेंसर बोर्ड में होना चाहिए :)Bhanu choudharyhttps://www.blogger.com/profile/11014945371130596026noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-43888146900349134472009-12-26T16:53:28.126+05:302009-12-26T16:53:28.126+05:30apki post kitni achhi thi ye commnt btate hai.unko...apki post kitni achhi thi ye commnt btate hai.unko jodh ke post ki ahmiyat or bhi badh jati hai.prem ko janna etna bhi asaan nahi.har koee apni tarah se samjhta hai par koee bhi prem se achhuta nahi hai.वैम्पायर bhi premi ho sakta hai.uske prem ko nazar andaz nahi kiya ja sakta.prem wastwik ho to apka uske haq me bne rahne ko man karta hai.sabka dekhne ka dhang alag alag hai.<br />do or do ka jodh hmesha char kaha hota hai.<br />apki har post na bhulne wali hoti hai. hmesha.डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-49653729045448063812009-12-26T07:42:49.139+05:302009-12-26T07:42:49.139+05:30... dekhanaa padegaa, prastuti prabhaavashaali hai...... dekhanaa padegaa, prastuti prabhaavashaali hai !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-76487241474060231542009-12-24T22:41:34.877+05:302009-12-24T22:41:34.877+05:30@अपूर्व
ये दोनों फ़िल्में इन दिनों में देखी थी और ...@अपूर्व <br />ये दोनों फ़िल्में इन दिनों में देखी थी और इनके ज़रिये प्रेम को एक भिन्न तरीके से देखा जा सकता है यही कुछ कहना चाह रहा था. प्रेम की छवि बहुत हद तक उदात्त,कोमल,मानवीय और आध्यात्मिक तत्वों को लेकर बुनी हुई है,एक और वैकल्पिक पाठ भी इसकी बनावट का हो सकता है जो अधिकांशतः 'इंस्टिंक्ट' से बना है ऐसा संकेत करना चाहता हूँ.<br />ट्वाईलाईट को लेकर ये कहूँगा कि ये एक वैम्पायर स्टोरी होने के बावजूद साफ़ सुथरी लगती है.कई ऐसी ही फिल्मों की तरह इसमें बैक ग्राउंड नीले अँधेरे में मनहूसियत से भरा नहीं दिखता.'मोर्बिड' सा अहसास इसमें नहीं है.<br />इस टिपण्णी के लिए शुक्रिया अपूर्व.ये मेरे लिखे को विस्तार देती है उसके गैप भरती है उसे और समृद्ध करती है.'लेट द राईट वन इन'ज़रूर देखने की इच्छा हो गयी है पर कैसे देख पाऊंगा नहीं जानता.उसका अंग्रेजी संस्करण शायद अभी नहीं आया है.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-45654977407034654302009-12-23T21:56:59.561+05:302009-12-23T21:56:59.561+05:30दो फ़िल्मों के बहाने प्रेम जैसी मानवीय भावनाओं पर ट...दो फ़िल्मों के बहाने प्रेम जैसी मानवीय भावनाओं पर टार्च फ़ेंकने वाली यह पोस्ट अच्छी लगी..<br />ट्विलाइट तो मैने देखी है मगर सीक्वेल अभी तक चांस पे नही आया है..<br />वैसे देखें तो वैम्पायर से प्रेम के बहाने प्रेम के कुछ अनयुजुअल, डार्क और जटिल रंगों को उभारने के प्रयास मे यह फ़िल्म फ़ार्मुलाबद्ध कथ्य पर ज्यादा जोर देने के प्रयास मे भटकती सी है और एक सीमा से बाहर नही निकल पाती है..मगर अपनी इंटेंसिटी के कारण बांधे रखती है..<br />और एक चीज जिसने मुझे प्रभावित किया कि एक गैरपारंपरिक और अर्धव्यक्त से प्रेम ही है जो कहीं तो ऎड्वार्ड के अंदर के वैम्पायर को बांधे रखता है..तो कहीं पर यही प्रेम उसके अंदर की अतिमानवीयता को बाहर निकलने पर विवश कर देता है..सच कहें तो यही रहस्य है इस भावना का कि कैसे कोई वनैला पशु इस कच्चे सूत के बंधन मे बंध कर विवश हो जाता है..और कभी इसी के टूटने पर पहले से भी ज्यादा आक्रामक भी हो जाता है..<br />वैसे वैम्पायर्स की जटिल लवस्टोरी पर ही बनी एक अन्य बहुचर्चित स्वीडिश फ़िल्म सजेस्ट करना चाहूँगा ’लेट द राइट वन इन’<br />बेहद कच्ची उम्र के इस स्नेहसंबंधों जैसी कुछ चीजों पर बनी इस फ़िल्म मे लड़की बेहद सामान्य मगर बेतरह अकेली और उपेक्षित सी होती है...जिसमे आम लड़कियों से कोई भिन्नता नही है, सिवाय इस भयावह एकाकीपन के, और ब्लडथर्स्ट के..और उसे रोशनी की किरण मिलती है एक दब्बू और इंट्रोवर्ट छोटे लड़के में जो उससे जितना डरता है उतना ही चाहता भी है उसे...इस कहानी मे भले ही ट्विलाइट जैसा ग्लैमर न हो मगर भावनाओं की इस जटिलता के कथानक का कोई जोड़ नही...अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-67874194847774070592009-12-23T16:44:15.842+05:302009-12-23T16:44:15.842+05:30हम भारतीय निश्छल-वासनाहीन प्रेम का पोर्ट्रायल हर द...हम भारतीय निश्छल-वासनाहीन प्रेम का पोर्ट्रायल हर दूसरी मूवी में सस्ते तरीके से देखते देखते ऊब चुके हैं, जबकि अमेरिकी दर्शकवर्ग छिछोर प्रेम का नग्न-अर्धनग्न चित्रण देखकर अघा चुका है..<br /><br />जाहिर है, हमें इस पिक्चर की फैंटेसी पसंद आती है(यदि आती है तो) तो पाश्चात्य दर्शकवर्ग प्रतिदान की आकांक्षा से रहित प्यार देखकर फ़ैनिया जाता है।कार्तिकेय मिश्र (Kartikeya Mishra)https://www.blogger.com/profile/03965888144554423390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-63248985572595786682009-12-22T11:12:37.057+05:302009-12-22T11:12:37.057+05:30"प्रेम के जिस्म का बड़ा हिस्सा वासना का है। य..."प्रेम के जिस्म का बड़ा हिस्सा वासना का है। ये वनैला है।" <br />इस क्रूर सत्य को कितनी सहजता से कह गये आप कि हम प्रेमी-मन चाह कर भी विद्रोह नहीं कर पा रहे हैं। ट्विलाइट देख चुका हूँ, न्यू मून देखना बाकि है।<br /><br />आपके विश्लेषण से याद आया कि विख्यात पैशाचिक-कथा "ड्रैकुला" भी वास्तव में एक प्रेम-कहानी ही तो है।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-51262399569568860752009-12-21T19:44:30.530+05:302009-12-21T19:44:30.530+05:30marvelous....ya! i've already heard about &qu...marvelous....ya! i've already heard about "twilight"....but after readin' ur post i'm eager to watch it as soon as possible...binser(Dr. Priyanka Sharma)https://www.blogger.com/profile/07078996813001065832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-7425732672319017352009-12-21T14:26:56.997+05:302009-12-21T14:26:56.997+05:30मेरे पास कहने को कुछ नहीं है... बस यहाँ जुटे दिग्ग...मेरे पास कहने को कुछ नहीं है... बस यहाँ जुटे दिग्गजों से कुछ सुन रहा हूँ जो की आत्मसात करने की जरुरत है...सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-89549324885333640622009-12-21T01:40:05.573+05:302009-12-21T01:40:05.573+05:30ट्वाईलाईट की रौशनी में प्रेम की चकाचौंध!
बैंगनी चम...ट्वाईलाईट की रौशनी में प्रेम की चकाचौंध!<br />बैंगनी चमक देखने के लिए आजकल फुर्सत भी है, मौसम भी ..<br />सुझाने के लिए शुक्रिया ...neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-52812968958193038202009-12-20T19:49:54.943+05:302009-12-20T19:49:54.943+05:30बहुत देर से आया। किशोर या संजय के लेखों पर देर से ...बहुत देर से आया। किशोर या संजय के लेखों पर देर से ही आना चाहिए - मेरी यह मान्यता सी बन रही है।<br />फिल्में देखी नहीं और समीक्षाएँ पढ़ी नहीं तो कुछ कहूँ कैसे? लेकिन फिल्मों से इतर बहुत कुछ इस पोस्ट और टिप्पणियों में है। बस सोच रहा हूँ कि चेतना के जाने कितने आयाम हो सकते हैं। ...वासना तो सृष्टि कर्म का मानस मंत्र है, उसके ऐसे पहलू भी हो सकते हैं! <br />__________<br /><br />किशोर जी! फिक्शन कब लिख रहे हैं ?मैं तो ये फरमाइश संजय जी से करता रहा हूँ - विराट कैनवस, विराट गाथा। कब तक अतीत के मील पत्थरों पर घूम घूम के आते रहेंगे हम? कुछ अपने पत्थर लगाइए न !गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-6703964109812645112009-12-20T19:29:43.404+05:302009-12-20T19:29:43.404+05:30achhi post lekin pictures me ruchi nahi....achhi post lekin pictures me ruchi nahi....योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-15117854306964558762009-12-19T15:32:18.773+05:302009-12-19T15:32:18.773+05:30दो दिन पहले टिप्पणी कर जाता तो शायद फिर से नहीं आत...दो दिन पहले टिप्पणी कर जाता तो शायद फिर से नहीं आता और डा अनुराग का कमेन्ट मिस कर देता.. <br /><br />बहुत अच्छा विश्लेषण किया आपने.. और लगता है की ये प्यार धर्मवीर भारती के "गुनाहों के देवता' से भी दो कदम आगे है...रंजनhttp://aadityaranjan.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-24993304524677114242009-12-19T14:20:25.988+05:302009-12-19T14:20:25.988+05:30फिल्मे मेरा शौक है ....आपको मानवीय संवेदनाओं से भर...फिल्मे मेरा शौक है ....आपको मानवीय संवेदनाओं से भरी फिल्मे देखनी हो तो इरानियन फिल्मे देखिये .हौल में नहीं जाना चाहते तो वर्ल्ड मूवी में देखिये ....बहुत कुछ मिल जाएगा ...सच में ......<br />अब बात इस फिल्म की इसके रिवियु पढ़ रहा था ...एकदो जगह...प्यार बड़ी जालिम शै है .हरेक आदमी अपनी व्याख्या अलग तरह से देता है ...गोन विद दी विंड .लव स्टोरी (एरिक सहगल )...लेकिन "टाइटेनिक" का आखिरी सीन मुझे बेहद प्रभावित करता है .यानी जब जीवन दांव पे हो तो तो आपके प्यार की कसौटी जुदा होती है ....ऐसे ही हिंदी फिल्मो में ."अनुपमा "का आखिरी सीन जहाँ पिता पुत्री के बीच नफरत प्यार का एक अजीब सा रिश्ता है ..प्यार उसे अलग तरह से डिफाइन करता है ....अमानुष .का नफरत प्यार का रिश्ता......"अमर -प्रेम "का वेश्या ओर उसके एक ग्राहक का रिश्ता .जिसमे एक बच्चा भी प्रेम का प्रतीक है ... बरसो पहले एक पुरानी फिल्म थी .उसकी सी दी आज तक ढूंढ रहा हूं .बलराज सहनी ओर लीला नायडू के फिल्म अनुराधा ...जिसमे बलराज सहनी एक डॉ है ...वक़्त के साथ उनके प्यार में एक ठहराव आता है ओर कैसे एक प्रतिभावान अभिनेत्री ..द्वन्द में फंसती है ......सुभाष घई की ताल भी मुझे बेहद पसंद है ..जिसमे लड़के का स्वाभिमान भी है ...हठ नहीं...विश्वास है ....इसके विपरीत" रहना तेरा दिल में" का लड़का . अग्रेसिव है...प्यार को छोड़ना नहीं चाहता ......<br />ओह .बहुत साड़ी मूवी है संजय...होलीवुड की तो.....फिलहाल एक मूवी देखना .."नोटिंग्स हिलस "जूलिया रोबर्ट्स की है .....<br />you love this man......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-46260806214245675782009-12-19T14:13:54.430+05:302009-12-19T14:13:54.430+05:30समीक्षा धाँसू लगी.फिलिम देखनी है...अगली बार सीडी त...समीक्षा धाँसू लगी.फिलिम देखनी है...अगली बार सीडी तैयार रखना...जोधपुर आऊंगा तब ले जाऊँगा.प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-86401193850738049072009-12-19T07:51:24.078+05:302009-12-19T07:51:24.078+05:30@अजेय जी
प्रेम पर जो कुछ पढ़ा है वो किसी नगरीय बुद...@अजेय जी <br />प्रेम पर जो कुछ पढ़ा है वो किसी नगरीय बुद्धिजीवी के यूटोपिया से अलग नहीं लगता.उसके विशुद्ध अनगढ़पन को भी देखा जाना चाहिए. आभार.<br />@किशोर जी,अब फिर सुबह है,आप तो फिक्शन लिखिए.दुनिया में अच्छी कहानियों की बड़ी ज़रुरत है. <br />@कंचन जी,<br />पुनर्जन्म पर मेरे संदेह वाद को बीच में न लाकर कहूँ तो आपकी प्रतिक्रिया मेरे 'बिखरे-बिखरे'से कथन में महत्वपूर्ण घटक की तरह जुड़ती है.<br />शुक्रिया.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-59249701437085168712009-12-19T01:23:19.023+05:302009-12-19T01:23:19.023+05:30फ़िल्म के बहाने प्रेम पर सुन्दर चिंतन !!!!!
पोस्ट ब...फ़िल्म के बहाने प्रेम पर सुन्दर चिंतन !!!!!<br />पोस्ट बहुत अच्छी लगी ।<br />पहली फ़िल्म देखी है और अब दूसरी देखने के बारे में सोच रहा हूँ ।Chandan Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/11389708339225697162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-33933663501945518492009-12-18T18:01:27.074+05:302009-12-18T18:01:27.074+05:30आपका विश्लेषण फ़िल्म के प्रति रूचि पैदा कर रहा है। ...आपका विश्लेषण फ़िल्म के प्रति रूचि पैदा कर रहा है। कहीं मिल पाई तो जरूर देखूंगा। आपको फ़िल्में देखनी ही नहीं उन पर लिखना भी चाहिए। इंतजार बना रहेगा अब तो।विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9022177286561386168.post-36122505100326810022009-12-18T17:13:48.973+05:302009-12-18T17:13:48.973+05:3001.संजय भाई वाकई आपकी भाषा बहुत समर्थ और ईर्ष्या स...01.संजय भाई वाकई आपकी भाषा बहुत समर्थ और ईर्ष्या से भर देने वाली है. <br /><br />02.संजय भाई वाकई आपकी भाषा बहुत समर्थ और ईर्ष्या से भर देने वाली है. <br /><br />मेरा सलाम.शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.com