Monday, May 21, 2012

हिसाब की पांडुलिपि


किसी पवित्र पांडुलिपि की तरह
सहेज कर रखा गया था
हिसाब का ये पन्ना
कितनी बची है मूंग की दाल
और
कितना चाहिये इस महीने
मूंगफली का तेल
सब कुछ इसमें था  
गृहिणी की उँगलियों के कोमल बंधन में
चौकन्नी चलती कलम से बनी लिखावट   
बहुत सुंदर थी
किसी वाग्दत्ता के प्रेम पत्र की तरह
जिसके गोल गोल अंक और अक्षर
झिलमिलाते थे
पन्ने पर पड़े तेल के धब्बों के बीच.

चुटकी से उस दिन
कड़ाही में गिरी हींग
अब भी इस पन्ने पर
बची हुई थी
किसी दूरस्थ गंध के रूप में
पन्ने को न जाने  
कितनी जगह और कितने कोणों से
छुआ था उसकी उँगलियों के पोरों ने
कि मसालों का कोई दक्षिण भारतीय बाज़ार
अब भी आबाद था
इसकी चारों भुजाओं की हद में
क्या गृहिणी हिसाब के पन्ने को
रसोई के काम का हिस्सा ही मानती थी
या रसोई से निवृत होकर किया जाने वाला काम?
पता नहीं
पर
ये हिसाब,प्रस्ताव,आकलन आदि के साथ   
घर की ज़रूरतों और आकांक्षाओं का संधि पत्र था
इस पन्ने को सहेजने का यत्न 
घर को सहेजने का यत्न ही था.   


                                          

12 comments:

  1. 'इस पन्ने को सहेजने का यत्न
    घर को सहेजने का यत्न ही था.'
    ....और इस यत्न से प्रेरित यह कविता भी संग्रहणीय है!

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  2. कितना कोमल और उदात्त...कितना गहरा और सम्मोहक...मन में बस गयी माँ के हाथों की रसोई जैसा...हमेशा के लिए सहेज दिया जाए इसे किसी संदूक में...कितना सुन्दर...आह कितना सुन्दर!

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  3. सादगी ....जीवन मे और अभिव्यक्ति मे ....उच्च विचार दर्शा रही है ...!
    सुंदर कविता ...!

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  4. बहुत सुंदर.........................

    किसी पुरानी अचार की भरनी में छिपा कर रखती हूँ...फिर कभी पढ़ने को.....

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  5. इन पन्नो को सहेजना घर को सहेजने का उपक्रम है एक गृहिणी के लिए !
    बहुत अपनी-सी लगी कविता !

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  6. गहरी रचना ... घर सहेजने की कोशिश के साथ ... अपनी आकांक्षाओं को सहेजने का प्रयास भी निरंतर रहता है ..

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  7. कवि की द्रष्टि कितनी सूक्ष्म है गृहणी की अँगुलियों का जटिल हिसाब कविता के छंदों में कितनी सरलता से समझा दिया...

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  8. गृहिणी की लगन और निष्ठा को मान और महत्व वाली इस दृष्टि को मेरा नमन !

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  9. ऐसे कितने संधि पत्र बिना पढ़े रखे है या उन्हें सिर्फ एक बार पढ़ा गया है

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  10. एकदम किनारे तक छू गया-सा अहसास! बेहद मुलायम और उतना ही खूबसूरत! अद्भुत, अनुपम!

    आभार।

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  11. घर को सहेजने वाले पन्ने को क्या खूब महसूस किया आपने और क्या खूब महसूस कराया सबको! वाह!!

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