इन दिनों के आसपास ही शायद
उसने अपने भीतर
प्रेम की पहली कौंध
महसूस की होगी
यही दिन रहे होंगे
जब उसने सोचा होगा
कि इंतज़ार हमेशा उबाऊ नहीं होता
और नोट बुक में गणित के सूत्रों के अलावा भी
बहुत कुछ लिखा जा सकता है
मसलन कविता या पत्र।
इन्हीं दिनों मां की डांट भी
ज्यादा सुनी होगी
और उतनी ही ज्यादा
अनसुनी की होगी
पहली बार
शायद इन्हीं दिनों
दुनिया में अपने लिए
एक निजी आकाश की
कल्पना में रही होगी वो।
वो उछल कर आसमान छू लेती थी
और रुई के फाहों की तरह
तैरते हवा में
उतर आती थी धरती पर.
इस जवान होती लड़की को लेकर
घर में अब उसके बारे
सोचा जाने लगा था
कि किस घर में वो आगे
सुखी रह सकती है
और पढाई कहाँ तक
करवाई जाय
क्या इतनी काफी है
या रिश्ता पक्का होने तक
कोई हर्ज़ नहीं, वगैरह वगैरह
इस तरह उसकी ज़िन्दगी में आम
और ख़ास सब चल रहा था
पर इन्हीं दिनों एक दिन
सपनों की बारीक बुनाई में
व्यस्त उसके हाथ
सहसा रुक गए
एक अखबार या पुलिस या डॉक्टर के लिए
ये रोज़ होने वाली आम दुर्घटना थी
पर उस घर के लिए
ये बार बार आकर खरोंचने वाली
स्मृति थी
उस स्वर का बीच में ही
टूट जाना था
जिसके बिना पूरा नहीं हो सकता था कोरस।
करोडो प्रकाशवर्ष की लम्बाईयों
और समय के भयाक्रांत करते विस्तार तक जीते
तारों के इसी ब्रह्माण्ड में
कोई सिर्फ उन्नीस वर्ष में शेष हो जाए
सड़क पर टक्कर के बाद
भौतिकीय नियमों से परास्त हो जाय
क्या कोई भी दिलासा तर्कपूर्ण हो सकती है
मैं फोन पर अपने मित्र को
संवेदना प्रकट करने से पहले
खोजता हूँ
सम भार के वे शब्द
जो अपनों को खोने से
उपजी पीड़ा को समझते हों
पर आख़िर नियति के चक्र,
अविनाशी आत्मा, पुनर्जन्म, हौसला, हिम्मत जैसे
काम चलाऊ शब्दों से आगे नहीं बढ पाता
हो सकता है
कुछ सघन अनुभव
नितांत निजी होते हों
जिनका परस्पर व्यवहार
संभव नहीं
उसने अपने भीतर
प्रेम की पहली कौंध
महसूस की होगी
यही दिन रहे होंगे
जब उसने सोचा होगा
कि इंतज़ार हमेशा उबाऊ नहीं होता
और नोट बुक में गणित के सूत्रों के अलावा भी
बहुत कुछ लिखा जा सकता है
मसलन कविता या पत्र।
इन्हीं दिनों मां की डांट भी
ज्यादा सुनी होगी
और उतनी ही ज्यादा
अनसुनी की होगी
पहली बार
शायद इन्हीं दिनों
दुनिया में अपने लिए
एक निजी आकाश की
कल्पना में रही होगी वो।
वो उछल कर आसमान छू लेती थी
और रुई के फाहों की तरह
तैरते हवा में
उतर आती थी धरती पर.
इस जवान होती लड़की को लेकर
घर में अब उसके बारे
सोचा जाने लगा था
कि किस घर में वो आगे
सुखी रह सकती है
और पढाई कहाँ तक
करवाई जाय
क्या इतनी काफी है
या रिश्ता पक्का होने तक
कोई हर्ज़ नहीं, वगैरह वगैरह
इस तरह उसकी ज़िन्दगी में आम
और ख़ास सब चल रहा था
पर इन्हीं दिनों एक दिन
सपनों की बारीक बुनाई में
व्यस्त उसके हाथ
सहसा रुक गए
एक अखबार या पुलिस या डॉक्टर के लिए
ये रोज़ होने वाली आम दुर्घटना थी
पर उस घर के लिए
ये बार बार आकर खरोंचने वाली
स्मृति थी
उस स्वर का बीच में ही
टूट जाना था
जिसके बिना पूरा नहीं हो सकता था कोरस।
करोडो प्रकाशवर्ष की लम्बाईयों
और समय के भयाक्रांत करते विस्तार तक जीते
तारों के इसी ब्रह्माण्ड में
कोई सिर्फ उन्नीस वर्ष में शेष हो जाए
सड़क पर टक्कर के बाद
भौतिकीय नियमों से परास्त हो जाय
क्या कोई भी दिलासा तर्कपूर्ण हो सकती है
मैं फोन पर अपने मित्र को
संवेदना प्रकट करने से पहले
खोजता हूँ
सम भार के वे शब्द
जो अपनों को खोने से
उपजी पीड़ा को समझते हों
पर आख़िर नियति के चक्र,
अविनाशी आत्मा, पुनर्जन्म, हौसला, हिम्मत जैसे
काम चलाऊ शब्दों से आगे नहीं बढ पाता
हो सकता है
कुछ सघन अनुभव
नितांत निजी होते हों
जिनका परस्पर व्यवहार
संभव नहीं