Friday, November 9, 2012

किशोर चौधरी का कहानी-संग्रह---'चौराहे पर सीढियां'


किशोर चौधरी का पहला कहानी संग्रह चौराहे पर सीढियां बस आने ही वाला है.इसमें कुल चौदह कहानियां है,जिनमें से एक कहानी चौराहे पर सीढियां भी है.संग्रह के उपलब्ध होने से पहले कहानियों पर बात करने का अधिकार लेखक के पास ही होता है और ख़ास कर जबकि लगभग सारी ही कहानियां मुद्रित रूप में पहली बार सामने इसी संग्रह के ज़रिये आयेंगी, इन पर कुछ कहा भी कैसे जा सकता है? पर शायद ये कहना एकदम ठीक नहीं होगा.यहाँ स्थिति ऐन ऐसी नहीं है. सारी की सारी कहानियां किशोर जी के ब्लॉग के ज़रिये हम सब के पास बैठ चुकी हैं, बतिया चुकी हैं और कुछ तो अब तक हमारे आस पास ही हैं.इसलिए कहानियां या कहानियों के ड्राफ्ट पाठक पहले ही पढ़ चुके हैं. और मैं मित्रता के अधिकारवश भी कहना चाहूँगा कि परंपरा में मिली किस्सागोई,स्थानीय मुहावरे और परिवेश से ठेठ देसीपन को सुरक्षित रखते हुए किशोर की कहानियों का संसार विशिष्ट रूप से मौलिक है.

वे जटिल मनोभावों और उनकी ऊहापोह के शिल्पी हैं.
उनके यहाँ अमूर्त भाव भी छुए जा सकते हैं,वे कई रंगों में रंगे हैं,उन्हें कभी किसी कोने में तो कभी एकदम सामने देखा जा सकता है.लगता है जैसे वे टोकरी में पड़े फल हैं...  

इस अति संकोची और विनम्र कहानीकार के पहले संग्रह पर मेरी बधाई और ढेर सारी  शुभकामनाएं. संग्रह के आने के बारे में अब पर्याप्त संख्या में लोग जानते हैं इसलिए इसके हाथों हाथ लिए जाने पर कोई संदेह नहीं है.एक समय वो भी था जब भाई किशोर कहानियों को जिल्द रूप में लाने को लेकर खासे अनमने थे पर मुझ सहित कई लोगों की जिद कुछ ऐसी थी कि वो आखिर अपने ब्लॉग की कहानियों पर कुछ परिश्रम करने को तैयार हो गए. हिन्द युग्म, जो किशोर जी का ये कथा-संग्रह आपके सामने ला रहा है बधाई और धन्यवाद का पात्र है.शैलेश जी के अथक प्रयत्न हमारे सामने हैं,आने वाले हैं.विशेष आभार शैलेश जी.

ये मेरा परम सौभाग्य है कि किशोर जी ने कहानियों पर जो दुबारा काम किया, जो जोड़ा घटाया उसे शब्दशः मुझे मेल द्वारा बताया,जिसकी वैसे कतई ज़रुरत नहीं थी क्योंकि मैं उनके गणितीय परफेक्शन में क्या और गुणात्मक जोड़ पाता?

बस मैं इतनी ही कामना जोड़ रहा हूँ कि चौराहे पर सीढियांकथा संग्रह भरपूर पढ़ा जाय.उसकी खूब चर्चा हो और आगामी कई ऐसे संग्रहों के ज़रिये किशोर जी की कहानियां हमें पढने को मिलतीं रहें.

हिन्द-युग्म से प्रकाशित हो रही इस कथा पुस्तक की कीमत सिर्फ ९५ रुपये है.इसे यहाँ से विशेष छूट के साथ मंगवाया जा सकता है. 





4 comments:

  1. किताबों की दुनिया में इस पहल को बहुत सकारात्‍मक ढंग से लिया जाना चाहिए कि हिंदी में लिखने वाला एक 'अज्ञात' सा कलमकार इतनी चर्चा पा रहा है. वह भी किताब आने से पहले. किताब का इंतजार है..

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  2. किताब का बेसब्री से इन्तेज़ार है !!

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  3. मंगा ली संजय भाई! बस इंतज़ार है किताब का. किशोर भाई को बधाई.

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