ओट
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डर नहीं है पर
प्रेम करते वक्त छुपो थोड़ा
यूँ समझो कि
इससे एक प्राचीन क़ायदे की
इज्ज़त बनी रहती है.
बस, इतनी भर ओट ही
काफी होगी
जितनी आकाशीय तारों के जलसे में
रहती है
दूज के चाँद की
जितनी वर्षा-भीगे वन के मुखर उल्लास में
रहती है
झींगुरों के शोर की
जितनी अघोरी के नितांत निजी आनंद में
रहती है
चिलम के धुंए की
बस प्रेम को थोड़ी ओट चाहिए
किताब पढते पढते सो जाना
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हर रात
अपने प्रिय लेखक की डायरी
को पढता हूँ
लेटे लेटे
और अक्सर
सो जाता हूँ बीच में ही कहीं
फिर मैं और वो डायरीकार
आमने सामने होते हैं
बैठे चुपचाप
ये अमूमन हमारे मिलने की जगह है
मैं अपनी नींद में निकलता हूँ बाहर
तो वो आकर छुपता है मेरी नींद में.
जैसलमेर(पीले पत्थरों का शहर)
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ईश्वर ने
लालटेन जलाकर
शहर को देखा
और फिर
लालटेन बुझाना भूल गया.