किसी पवित्र पांडुलिपि की तरह
सहेज कर रखा गया था
हिसाब का ये पन्ना
कितनी बची है मूंग की दाल
और
कितना चाहिये इस महीने
मूंगफली का तेल
सब कुछ इसमें था
गृहिणी की उँगलियों के कोमल बंधन में
चौकन्नी चलती कलम से बनी लिखावट
बहुत सुंदर थी
किसी वाग्दत्ता के प्रेम पत्र की तरह
जिसके गोल गोल अंक और अक्षर
झिलमिलाते थे
पन्ने पर पड़े तेल के धब्बों के बीच.
चुटकी से उस दिन
कड़ाही में गिरी हींग
अब भी इस पन्ने पर
बची हुई थी
किसी दूरस्थ गंध के रूप में
पन्ने को न जाने
कितनी जगह और कितने कोणों से
छुआ था उसकी उँगलियों के पोरों ने
कि मसालों का कोई दक्षिण भारतीय बाज़ार
अब भी आबाद था
इसकी चारों भुजाओं की हद में
क्या गृहिणी हिसाब के पन्ने को
रसोई के काम का हिस्सा ही मानती थी
या रसोई से निवृत होकर किया जाने वाला काम?
पता नहीं
पर
ये हिसाब,प्रस्ताव,आकलन आदि के साथ
घर की ज़रूरतों और आकांक्षाओं का संधि पत्र था
इस पन्ने को सहेजने का यत्न
घर को सहेजने का यत्न ही था.
'इस पन्ने को सहेजने का यत्न
ReplyDeleteघर को सहेजने का यत्न ही था.'
....और इस यत्न से प्रेरित यह कविता भी संग्रहणीय है!
कितना कोमल और उदात्त...कितना गहरा और सम्मोहक...मन में बस गयी माँ के हाथों की रसोई जैसा...हमेशा के लिए सहेज दिया जाए इसे किसी संदूक में...कितना सुन्दर...आह कितना सुन्दर!
ReplyDeleteसादगी ....जीवन मे और अभिव्यक्ति मे ....उच्च विचार दर्शा रही है ...!
ReplyDeleteसुंदर कविता ...!
बहुत सुंदर.........................
ReplyDeleteकिसी पुरानी अचार की भरनी में छिपा कर रखती हूँ...फिर कभी पढ़ने को.....
इन पन्नो को सहेजना घर को सहेजने का उपक्रम है एक गृहिणी के लिए !
ReplyDeleteबहुत अपनी-सी लगी कविता !
गहरी रचना ... घर सहेजने की कोशिश के साथ ... अपनी आकांक्षाओं को सहेजने का प्रयास भी निरंतर रहता है ..
ReplyDeleteकवि की द्रष्टि कितनी सूक्ष्म है गृहणी की अँगुलियों का जटिल हिसाब कविता के छंदों में कितनी सरलता से समझा दिया...
ReplyDeleteगृहिणी की लगन और निष्ठा को मान और महत्व वाली इस दृष्टि को मेरा नमन !
ReplyDeleteऐसे कितने संधि पत्र बिना पढ़े रखे है या उन्हें सिर्फ एक बार पढ़ा गया है
ReplyDeleteएकदम किनारे तक छू गया-सा अहसास! बेहद मुलायम और उतना ही खूबसूरत! अद्भुत, अनुपम!
ReplyDeleteआभार।
:-)
ReplyDeleteघर को सहेजने वाले पन्ने को क्या खूब महसूस किया आपने और क्या खूब महसूस कराया सबको! वाह!!
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